Rajasthan: जैसलमेर के इस कस्बे में लगी धारा 163, 5 से ज्यादा लोगों के इकठ्ठा होने पर लगी रोक, जारी हुए आदेश
जाने क्या है वजह
Rajasthan: राजस्थान के जैसलमेर जिले के बासनपीर जूनी में प्रशासन ने छतरी विवाद को लेकर क्षेत्र में 5 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उप-मंडल अधिकारी गोयल ने धारा 163 लागू करने के आदेश जारी किए हैं। प्रशासन का मानना है कि क्षेत्र में व्याप्त तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए, कानून और व्यवस्था के संभावित उल्लंघन की आशंका के कारण, प्रशासन द्वारा सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए सतर्क कदम उठाए गए हैं।
कोई भी व्यक्ति पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना लाउडस्पीकर, एम्पलीफायर, साउंड ट्रांसमीटर का उपयोग नहीं करेगा। यह आदेश अगले दो महीनों तक जारी रहेगा। गाँव बासनपीर जूनी की सीमा के भीतर, सार्वजनिक स्थानों पर विस्फोटक पदार्थ और किसी भी प्रकार के हथियार रखने वाला व्यक्ति
इस दिन हुआ था विवाद:
गौरतलब है कि बसनपीर गाँव में 10 जुलाई, 2025 को ऐतिहासिक छतरी के पुनर्निर्माण को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। पुलिस ने 20 से अधिक महिलाओं सहित 24 लोगों को गिरफ्तार किया। यह विवाद रियासत के बहादुर योद्धाओं, रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की याद में बनाए गए छतरी के निर्माण कार्य के दौरान भड़क उठा। Rajasthan
आखिर विवाद किस बात का है?
विवाद 2019 में शुरू हुआ जब कुछ लोगों ने इन छतरी को तोड़ दिया। झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति और हिंदू संगठनों ने इसके विरोध में आंदोलन किया था। जिसके बाद 10 जुलाई को प्रशासन और दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद छतरी का पुनर्निर्माण फिर से शुरू हुआ। लेकिन, विशेष समुदाय की सैकड़ों महिलाएं और युवा निर्माण स्थल पर पहुंच गए और पथराव करना शुरू कर दिया। इस हमले में कई लोग घायल हो गए। इससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा हो गई।
छत्रियों का ऐतिहासिक महत्वः
1835 में तत्कालीन महारावल गज सिंह द्वारा बसनपीर गाँव में निर्मित छत्रियाँ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। ये छत्रियां बहादुर योद्धाओं रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की याद में बनाई गई थीं। 1828 में जैसलमेर और बीकानेर के बीच लड़े गए बासनपीर के युद्ध में जैसलमेर की ओर से लड़ते हुए रामचंद्रजी सोढ़ा की मृत्यु हो गई। वहीं, हदूद जी पालीवाल ने गांव में एक तालाब खोदकर सामाजिक योगदान दिया था, जिसके सम्मान में उनकी छतरी बनाई गई थी। ये छतरी स्थानीय राजपूत समुदाय के लिए गर्व और बलिदान का प्रतीक हैं। Rajasthan