Movie prime

Rajasthan: अब पुरे देश के रेलवे स्टेशनों पर पाली के कुल्हड़ों में मिलेगी चाय, रेल मंत्री का एलान

जाने विस्तार से 

 
pali news

राजस्थान के पाली जिले की मिट्टी की खुशबू अब पूरे देश में फैलेगी। हर रेलवे स्टेशन पर नागरिक यहाँ बने सिकोरों (मिट्टी के प्यालों) में चाय का आनंद लेंगे। ये सिकोर पर्यावरण की रक्षा करेंगे और हर नागरिक को मारवाड़ की धरती और संस्कृति से जोड़ेंगे।

गुरुवार को, रेल मंत्री अश्विनी कुमार वैष्णव ने पाली के खेतावास औद्योगिक क्षेत्र में बन रहे मिट्टी के सिकोरों का निरीक्षण किया और उनके डिज़ाइन और निर्माण प्रक्रिया पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने घोषणा की कि यहाँ बने सिकोर पूरे देश में मारवाड़ और पाली की पहचान बनेंगे। इन सिकोरों का उपयोग अब रेलवे स्टेशनों पर चाय बनाने और अन्य कार्यों के लिए किया जाएगा।

तालाबों और नालों की मिट्टी से बने सिकोरे
लघु उद्योग भारती ने पाली में सिकोरे और मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए मशीनें लगाई हैं। इनमें से 23 मशीनों के साथ, पाली के कुम्हार अब सिकोर बनाते हैं। सिकोर और बर्तन तालाबों और नालों की मिट्टी से बनाए जाते हैं। इस मशीन में मिट्टी को पीसने और मिलाने की मशीन भी लगी है, जिससे शारीरिक श्रम की आवश्यकता नहीं होती।

8 घंटे में लगभग 6,000 मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं
यह मशीन प्रति मिनट लगभग 13 से 15 मिट्टी के बर्तन और कप बनाती है। बड़े बर्तन, जैसे कड़ाही और बर्तन, भी बनाए जाते हैं, लेकिन कम मात्रा में। यह मशीन 50 से 250 मिलीलीटर के मिट्टी के बर्तन, कैंडी के कटोरे और दही के बर्तन भी बना सकती है।

लागत: लगभग 50 पैसे
मिट्टी के एक कप या बर्तन बनाने में लगभग 50 पैसे का खर्च आता है। ये बाजार में 1 से 1.25 रुपये के बीच बिकते हैं। बड़े बर्तन 20 से 50 रुपये के बीच मिलते हैं। कई बर्तन 100-150 रुपये या उससे भी ज़्यादा में बिकते हैं।