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Rajasthan Kisan Bagwani Yojana: राजस्थान सरकार की बड़ी सौगात, फलदार बगीचे लगाने वाले किसानों का होगा लाखों का फायदा

ऐसे करें आवेदन, जाने पूरी प्रक्रिया 

 
Rajasthan Kisan Bagwani Yojana

Rajasthan Kisan Bagwani Yojana: राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत बागवानी करने के इच्छुक किसान कृषि विभाग के 'राज किसान साथी' पोर्टल पर अनुदान के लिए आवेदन कर सकते हैं।  किसानों के चयन में पंचायत राज संस्थानों का सहयोग लिया जाता है और महात्मा गांधी मनरेगा कार्यक्रम के साथ समन्वय स्थापित किया जाता है।

ड्रिप सिस्टम लगाना जरूरी
नए फल उद्यान स्थापना अनुप्रयोग के साथ ड्रिप प्लांट की स्थापना अनिवार्य है। बगीचे को तैयार करने के लिए फसल के अनुसार एक निश्चित दूरी पर एक निश्चित आकार के गड्ढे खोदने होंगे। गड्ढों को भरने में उपयोग किए जाने वाले उर्वरकों और पादप संरक्षण रसायनों का उपयोग किसान स्तर पर किया जाएगा। फलों के नए बगीचे तैयार करने के लिए ड्रिप पौधे लगाना अनिवार्य है। Rajasthan Kisan Bagwani Yojana

जनजातीय क्षेत्र के किसानों की छोटी जोत को देखते हुए, कम क्षेत्र में उद्यान की स्थापना पर ड्रिप सिंचाई संयंत्र की आवश्यकता से छूट दी जाएगी। ड्रिप प्लांट लगाए बिना फलों के बगीचे के लिए कोई फल अनुदान प्रदान नहीं किया जाएगा। फलों में नींबू के बीज/ऊतक संवर्धन प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पादित बागों के अलावा अन्य सभी बागों को तैयार करने के लिए ग्राफ्टेड रोपण सामग्री का उपयोग किया जाएगा।

पात्रता और आवेदन प्रक्रिया  
आवेदक के पास कृषि भूमि का स्वामित्व और सिंचाई के स्रोत होने चाहिए। आप ई-मित्र केंद्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवश्यक दस्तावेजों की प्रति, आधार कार्ड/जनाधार कार्ड, जमा (छह महीने से अधिक पुराना नहीं) Rajasthan Kisan Bagwani Yojana

इस तरह से पपीता, सीताफल, करोड़ा, बेल, आंवला, कटहल, जामुन जैसे फलों की फसल पर 75 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तक सब्सिडी देय है। संतरा, किन्नू, मौसंबी,अनार के लिए सामान्य अंतराल राशि 1, 25000 रुपये प्रति हेक्टेयर और उच्च घनत्व राशि 2 लाख रिउपाये प्रति हेक्टेयर है। 2 वर्षों में अधिकतम 2 हेक्टेयर तक अनुपात के आधार पर सामान्य किसान को इकाई लागत का 40% सब्सिडी देय है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसानों को अनुपात के आधार पर अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। पहले वर्ष में सब्सिडी के 60% और दूसरे वर्ष में 80% के उत्तरजीविता के मामले में, राशि का 40% रोपण सामग्री पर व्यय के लिए है। -डॉ.बी.आर.कड़वा, से.नि.संयुक्त निदेशक उद्यान, उधान विभाग, जयपुर।