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Isabgol Cultivation: राजस्थान में किसानों की बदली तकदीर! कम लागत में मोटा मुनाफा! इसकी खेती करके हो रहे मालामाल!

जाने विस्तार से...

 
Isabgol Cultivation

Isabgol Cultivation: इसबगोल की खेती राजस्थान के नागौर में बड़े पैमाने पर की जाती है। इससे कई किसानों को फायदा हुआ है। यह फसल मुख्य रूप से नागौर और आसपास के कुछ जिलों में उगाई जाती है।

इस पौधे की खेती के लिए दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। मिट्टी में एक अच्छी जल निकासी प्रणाली होनी चाहिए और इसका पीएच मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि भूरे या रेतीली मिट्टी में इसकी खेती करने से पहले गोबर की खाद या खाद जैसे जैविक उर्वरक मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाना आवश्यक है।

उन्नत किस्मों का चयन  
इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले अच्छी किस्म का बीज चुनना बहुत जरूरी है। किसना पूसा उत्कर्ष, पंत अनुपमा और अर्का कार्तिक.. ये कुछ उन्नत बीज किस्में हैं जो रोग प्रतिरोधी भी हैं। बोन से पहले, बीज का उपचार कवकनाशी से करना चाहिए। इसकी बुवाई के समय बीजों को पंक्तियों से 30 से 45 cm की दुरी पर बोना सही माना गया है। समय-समय पर इस फसल की सिंचाई, कीट प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। Isabgol Cultivation

बुवाई कब करें?
नागौर क्षेत्र में इसबगोल की बुवाई के लिए अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के दूसरे सप्ताह तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है।  किसानों का कहना है कि अगर दिसंबर में बुवाई की जाए तो पैदावार में काफी कमी आती है। यह एक सूर्य प्रभावित पौधा है, जैसे-जैसे दिन की अवधि बढ़ती है, पौधा जल्दी पक जाता है और उत्पादन कम हो जाता है।

लाभ और हानि कितनी है?  
- अगर इसबगोल की फसल पककर तैयार हो जाए तो प्रति हेक्टेयर 80 से 100 क्विंटल उपज प्राप्त की जा सकती है।
- इसकी कीमत बाज़ार में करीब 8,500 रुपये से लेकर 15,000 रुपये प्रति क्विंटल तक होती है।
- इससे किसानों को काफी फायदा होगा।
- यह पारंपरिक खेती की तुलना में बहुत अधिक लाभ कमा सकता है। 
-  उन्नत तकनीकों का उपयोग करके उपज को और बढ़ाया जा सकता है।
- नागौर की जलवायु और मिट्टी को इसकी खेती के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है। Isabgol Cultivation

खेती और देखभाल के लिए मिट्टी  
हल्की, रेतीली दोमट मिट्टी को इसबगोल के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, जिसमें जलभराव नहीं होता है और अच्छी जल निकासी होती है।  मिट्टी में पानी की मात्रा अधिक होनी चाहिए।  उन्नत किसान बताते हैं कि उर्वरक के संतुलित उपयोग से इसकी उपज में सुधार होता है। इसकी खेती के लिए ठंडा और शुष्क मौसम आवश्यक है।

क्या काम आता है इसबगोल
इसबगोल में घुलनशील फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र में अतिरिक्त पानी को अवशोषित करके पाचन में मदद करता है। यह मल को गाढ़ा करता है और शौच की आवृत्ति को कम करता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है और इसे एक महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। Isabgol Cultivation