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JDA ने लागू की नई SOP, अब इन लोगों को 98 दिन में मिल जाएगा जमीन का पट्टा

जयपुर विकास प्राधिकरण ने संस्थाओं को सार्वजनिक उपयोग के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया को स्पष्ट बनाने के लिए नई मानक कार्य प्रणाली (SOP) लागू की है। इस नई व्यवस्था का काम मनमानी, फाइल अटकाने को खत्म कर ऑनलाइन सिस्टम के तहत आवंटन करना है।
 
Jaipur

Jaipur: जयपुर विकास प्राधिकरण ने संस्थाओं को सार्वजनिक उपयोग के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया को स्पष्ट बनाने के लिए नई मानक कार्य प्रणाली (SOP) लागू की है। इस नई व्यवस्था का काम मनमानी, फाइल अटकाने को खत्म कर ऑनलाइन सिस्टम के तहत आवंटन करना है।

आपको बता दें आवेदन से लेकर आवंटन तक की पूरी प्रक्रिया 16 चरणों में 98 दिन में पूरी होगी। हालांकि सरकारी, अर्द्धसरकारी विभागों और ‘लैंड फॉर लैंड’ मामलों को इस प्रक्रिया से अलग रखा गया है। समिति के फैसले के बाद आवंटन व मांग पत्र जारी करने तथा राज्य सरकार को अभिशंसा सहित स्वीकृति भेजने की प्रक्रिया 24 दिन में पूरी की जाएगी। रियायती दर पर भू-आवंटन मामलों में भूमि का उचित उपयोग व शर्तों की पालना सुनिश्चित करने हेतु भू-आवंटन नीति-2015 की बिंदु संख्या 7 के तहत प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

पूरी प्रक्रिया की बात करें तो सबसे पहले नागरिक सेवा केंद्र पर आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ सभी दस्तावेज व शुल्क जमा करना होगा। केंद्र के उपायुक्त फाइल एक दिन में योजना सहायक को भेजेंगे।  योजना सहायक व तहसीलदार भूमि का क्षेत्रफल, औचित्य व संस्था की प्रोजेक्ट रिपोर्ट का परीक्षण करेंगे, जिसे लैंड एंड प्रॉपर्टी कमेटी (एलपीसी) में रखा जाएगा। यह कार्य 21 दिन में पूर्ण होगा।

उसके बाद जेडीए वेबसाइट पर आपत्तियां मांगी जाएंगी। इसके लिए 15 दिन का समय रहेगा। आपत्ति नहीं आने पर पत्रावली संबंधित जोन को भेज दी जाएगी।जोन उपायुक्त कार्यालय में तहसीलदार, सहायक, उप नगर नियोजक, लेखाकार, विधि सहायक व कनिष्ठ अभियंता पत्रावली का परीक्षण करेंगे और 12 दिन में एजेंडा नोट बनाकर एलपीसी प्रकोष्ठ को भेजा जाएगा।

एलपीसी प्रकोष्ठ अतिरिक्त आयुक्त, उपायुक्त व तहसीलदार पांच दिन में परीक्षण करेंगे। फिर 10 दिन के भीतर प्री-एलपीसी बैठक होगी।  इसके बाद एलपीसी समिति 10 दिन में अंतिम निर्णय लेगी कि भूमि आवंटन किया जाए या नहीं। शर्तों की पालना नहीं करने पर जेडीए ने पिछले दिनों 3 संस्थाओं से आवंटित भूमि का कब्जा वापस ले लिया है। ये भूमि डॉग शेल्टर, एनजीओ और ट्रस्ट को दी गई थी।