Kheti Badi: किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ये फसल, 2 महीनों में हो जाती है तैयार, लगातार डिमांड में, कमाई भी दमदार!
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Kheti Badi: यदि किसान सीमित संसाधनों में अधिक लाभ की तलाश कर रहे हैं, तो ग्वार की खेती उनके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। कृषि विभाग किसानों को उन्नत किस्मों और तकनीकी जानकारी भी प्रदान कर रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। यह फसल कम पानी, कम लागत और 60-90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका उपयोग बीज, गोंद और चारे के रूप में किया जाता है।
राजस्थान के उदयपुर जिले में गवार (क्लस्टर बीन्स) की खेती अब किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प के रूप में उभर रही है। कम लागत, कम पानी और कम समय, यह फसल न केवल लाभ देती है, बल्कि कृषि विविधीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिले के कई किसान अब पारंपरिक फसलों के बजाय ग्वार की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।
ग्वार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह 60 से 90 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है। इस फसल को उन किसानों के लिए आदर्श माना जाता है जिनके पास सिंचाई के सीमित साधन हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्वार की खेती में अधिक उर्वरक और कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे अन्य फसलों की तुलना में खेती की लागत में काफी कमी आती है। Kheti Badi
बाजार में इसकी मांग लगातार बनी हुई है। इसका उपयोग न केवल एक सब्जी के रूप में किया जाता है, बल्कि इसके बीज और गम (गम) का उपयोग दवा उद्योग, बर्फ उद्योग और पशु आहार में भी किया जाता है। यही कारण है कि इसकी कीमत स्थिर रहती है, जो किसानों को एक निश्चित आय की गारंटी देती है।
गांवों में प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने वाला कृषि विभाग भी ग्वार को एक बेहतर विकल्प मानता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक है और फसल चक्र में बदलाव लाने के लिए उपयोगी है।
उदयपुर के गोगुन्दा, बड़गांव, भटेवर और सलूम्बर क्षेत्रों में कई किसानों ने इस साल ग्वार की खेती शुरू कर दी है। किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति बीघा 6-8 क्विंटल उपज मिल रही है, जिससे उन्हें 15 से 20 हजार रुपये का प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है।
ग्वार उगाने के कई फायदे हैं। इससे कई उत्पाद बनाए जा सकते हैं। कम समय (60-90 दिन) में कम पानी और सीमित उर्वरक की आवश्यकता होती है। बाजार में स्थिर मांग और कीमत इसे एक बहु-उपयोगी फसल बनाती है। इसका उपयोग किसानों द्वारा सब्जियों, बीजों, मसूड़ों, चारे, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए किया जा सकता है। Kheti Badi
यदि किसान सीमित संसाधनों में अधिक लाभ की तलाश कर रहे हैं, तो ग्वार की खेती उनके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। कृषि विभाग किसानों को उन्नत किस्मों और तकनीकी जानकारी भी प्रदान कर रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।