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Janmashtmi 2025: इस बार जन्माष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग, जाने शुभू मुहूर्त और पूजा विधि  

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janmashtmi 2025

Janmashtmi 2025: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन लोग व्रत-निराहार रहकर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस बार जन्माष्टमी का त्यौहार 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर कई वर्षों बाद एक अनोखा संयोग बना है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में मध्यरात्रि के समय हुआ था। जयपुर एवं जोधपुर स्थित पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वर्ष 2025 में यह तिथि 15 अगस्त की रात्रि 11:49 बजे से प्रारंभ होकर 16 अगस्त की रात्रि 9:34 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्मार्त संप्रदाय के लोग 15 अगस्त को जन्माष्टमी मनाते हैं, जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग 16 अगस्त को जन्मोत्सव मनाते हैं। हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह दिन श्री कृष्ण को समर्पित है। जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग भगवान कृष्ण की शरण में जाते हैं, उन्हें मृत्युलोक में स्वर्गीय सुखों की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शास्त्रों में इसका विशेष उल्लेख मिलता है: ''अर्ध्रात्रे तु रोहिणी यदा कृष्णाष्टमी भवेत्। 'तस्याम्यभ्यर्चनं शौरिहन्ति पाप त्रिजन्मजम्।'' यानी अष्टमी तिथि, जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का व्रत और व्रत करने वाले भक्तों के तीन जन्मों के पाप पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं और यह योग शत्रुओं का दमन करता है। निर्माण सिंधु में एक श्लोक भी है: 'त्रेतायां द्वापरे चैव राजन कृतयुगे तथा। रोहिणी सहितं चेयं विद्दभिः समुपपोषिता।' अर्थात् हे राजन्, त्रेता युग, द्वापर युग और सतयुग में विद्वानों ने रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत किया था। इसलिए कलियुग में भी इसे इतना अच्छा योग मानना चाहिए। ऐसा योग विद्वानों और भक्तों का कल्याण करता है। Janmashtmi 2025

शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता एवं कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में हुआ था। इसलिए, भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि 15 अगस्त को रात्रि 11:49 बजे से प्रारंभ होकर 16 अगस्त को रात्रि 9:34 बजे तक रहेगी। इस वर्ष भगवान कृष्ण का 5,252वां जन्मोत्सव है। कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा। चंद्रमा रात्रि 11:32 बजे उदय होगा और अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात्रि 11:49 बजे से प्रारंभ होकर 16 अगस्त को रात्रि 9:34 बजे समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को शाम 4:38 बजे से प्रारंभ होकर 18 अगस्त को प्रातः 3:17 बजे समाप्त होगा। इसलिए, कई लोग जन्माष्टमी पर भोर से मध्यरात्रि तक व्रत रखते हैं, जबकि कई अन्य लोग अगले दिन भोर के बाद अपना व्रत तोड़ते हैं। Janmashtmi 2025

जन्माष्टमी भोग
भविष्यवक्ता और कुंडली निर्माता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग बहुत प्रिय है। इसलिए जन्माष्टमी पर बाल श्री कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, केसर घेवर, पेड़ा, मक्खनी खीर, रबड़ी, मोहनभोग, रसगुल्ला, लड्डू आदि का भोग लगाया जा सकता है।

पूजा विधि
भविष्यवक्ता एवं कुण्डली विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि जन्माष्टमी व्रत में अष्टमी का व्रत करने से पूजा पूर्ण होती है और नवमी का व्रत करने से पूजा पूर्ण होती है। इस व्रत से एक दिन पहले, अर्थात सप्तमी को, हल्का, सात्विक भोजन करना चाहिए। व्रत के दिन प्रातः स्नान आदि के पश्चात सभी देवताओं को प्रणाम करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। जल, फल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। दोपहर के समय काले तिल का जल छिड़ककर देवकी जी के लिए प्रसव कक्ष तैयार करें। अब इस प्रसव कक्ष में एक सुंदर पलंग बिछाएँ और उस पर एक कलश स्थापित करें। भगवान कृष्ण और माता देवकी जी की मूर्ति या सुंदर चित्र स्थापित करें। देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी जी के नामों का उच्चारण करते हुए विधिवत पूजा करें। यह व्रत मध्यरात्रि के बाद ही तोड़ा जाता है। इस व्रत में अनाज का सेवन नहीं किया जाता है। फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे के पकौड़े, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा खाया जा सकता है। Janmashtmi 2025