मानसून की पहली बारिश में छलकने को तैयार भीमलत बांध, टूट गया 40 साल पुराना रिकॉर्ड, 1985 के बाद पहली बार हुआ ऐसा,
Jun 27, 2025, 08:15 IST

Bhimlat dam: राजस्थान के बूंदी और भीलवाड़ा की सीमा पर स्थित भीमलत बांध इस बार मानसून की पहली बारिश में ही अपनी पूरी क्षमता के करीब पहुंच गया है। सघन वन क्षेत्र भीमलत, बाणगंगा, भाला की कुई और सीता कुंड में हुई भारी बारिश ने इस बांध को जून महीने में ही 33 फीट तक भर दिया, जबकि इसकी अधिकतम भराव क्षमता 36 फीट है। यह एक असाधारण घटना है, जो 1985 के बाद पहली बार दोहराई गई है। मानसून आने तक खाली पड़े बांध का जलस्तर रविवार सुबह तक 33 फीट पहुंच गया था। जबकि बांध की भराव क्षमता 36 फीट है। पहली बारिश में व जून के महीने में ही खाली पड़े बांध का जलस्तर 33 फीट होना जंगलों में हुई अतिवृष्टि के कारण हुआ है। बाणगंगा नदी पर 1958 में बांध बनने के बाद यह दूसरा मौका है जब बांध जून के महीने में पहली बारिश में ही भर गया है। इससे पहले 1985 में ऐसी स्थिति बनी थी। टाइगर रिजर्व के बफर जोन खिन्या, नाहरगढ़ व दुर्वासा महादेव क्षेत्र में भी अच्छी बारिश हुई। गौरतलब है कि सीता कुंड के जंगलों से ही मेज नदी का उदगम है। जिससे गुढ़ा बांध का जल स्तर भी तेजी से बढा है। एक ओर जहां जंगल में तेज बारिश हुई वहीं दूसरी ओर गुढ़ा, रामनगर, मंगाल, हट्टीपुरा आदि मैदानी इलाकों में हलकी बारिश हुई। भीमलत क्षेत्र में हुई बरसात के चलते भीमलत नदी का जलस्तर बढ़ने से उलेड़ा पंचायत के गोपालपुरा, सिन्ता, गरनारा, रूपनगर, श्रीनगर आदि गांवों के रास्ते शनिवार दोपहर को 4-5 घंटे बंद रहे। भीमलत के एक नाले को पार करते समय एक बाइक सवार बह गया। जिसे उसके साथ आए साथियों ने बचा लिया। बूंदी व भीलवाड़ा जिले की सीमा पर भीमलत बांध का निर्माण 1958 में आर्च बनाकर बाणगंगा नदी पर हुआ था। बांध के निर्माण में 4 लाख 58 हजार रुपए खर्च हुए थे। बांध बनते ही एक आर्च का हिस्सा टूट भी गया था, जिसकी बाद में मरमत की गई। बांध की डाउन स्ट्रीम में यह नदी उपरमाल के पठार से हाड़ौती के मैदान में गिरती है। जहां प्रसिद्ध भीमलत जलप्रपात है। यहां शिवलिंग पर सदियों से अनवरत जलधारा जलाभिषेक करती है। बांध का पानी जलप्रपात व भीमलत वैली में होते हुए 1965 में बने सहायक अभयपुरा बांध में पहुंचता है जहां से नहरों के द्वारा सिंचाई होती है। भीमलत बांध का पानी प्रसिद्ध भीमलत जलप्रपात और भीमलत वैली से होते हुए 1965 में बने सहायक अभयपुरा बांध तक पहुंचता है।