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History of Bikaner: बीकानेर...परंपरा और रीति-रिवाज की अनूठी मिसाल, जहां दिलों में बसती है रवायत.. हो गया 537 साल का

जाने बीकानेर का इतिहास...

 
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History of Bikaner: राजस्थान का बीकानेर अब 537 वर्ष का हो गया है। बीकानेर का इतिहास अपने आप में अनूठा है। राजस्थान उत्तर भारत का एक राज्य है।  इस शहर को राजस्थान का दिल भी कहा जाता है। कई राजाओं और महाराजाओं ने इस शहर पर शासन किया है। यह शहर अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। ऐसे में इस शहर की गंगा-जमुना संस्कृति को प्रतिबिंबित करने वाली हवा भी ऐसी है कि जब कोई यहां आता है तो वह यहीं रहता है। 

बीकानेर की नमकीन और मिठाइयां पूरी दुनिया में बहुत ही मशहूर है। पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने बताया कि, बीकानेर के महाराजों के बारे में विस्तृत जानकारी राज्य गंगा संग्रहालय में लगी हुई हैं। छात्र और पर्यटक वहां जाकर इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

इन राजाओं और महाराजाओं ने बीकानेर पर किया शासन
राव बीका जी पर शासन किया और 1472 से 1504 तक बीकानेर की स्थापना की। इनके बाद 1504 से 1505 तक राव नारा, 1505 से 1526 तक राव लूणकरण जी, 1526 से 1542 तक राव जेतसी, 1542 से 1574 तक राव कल्याण जी, 1574 से 1612 तक महाराजा राय सिंह, 1612 से 1613 तक महाराजा दलपत सिंह, 1613 से 1631 तक महाराजा शूर सिंह, 1631 से 1669 तक महाराजा करण सिंह जी, 1669 से 1698 तक महाराजा अनूप सिंह जी, 1700 से 1735 तक महाराजा सुजान सिंह जी, 1735 से 1746 तक महाराजा जोरावर सिंह जी, 1746 से 1787 तक महाराजा गज सिंह जी, 1787 से 1828 तक महाराजा सूरत सिंह जी, 1828 से 1851 तक महाराजा रतन सिंह जी, 1851 से 1872 तक महाराजा सरदार सिंह जी, 1872 से 1887 तक महाराज डूंगर सिंह ने, 1887 से 1943 तक महाराजा गंगा सिंह ने, 1943 से 1950 तक महाराजा शार्दुल सिंह जी ने, 1950 से 1971 तक महाराजा नरेंद्र सिंह जी अंतिम महाराज रहे थे।  History of Bikaner

बीकानेर का नाम जांगल प्रदेश से पड़ा
बीकानेर का पुराना नाम जांगल प्रदेश है। इसके उत्तर में कुरु और मद्रदेश थे, इसलिए महाभारत में कभी-कभी जांगल नाम अकेले पाया जाता है और कभी-कभी कुरु और मद्रदेश देशों से जुड़ा हुआ है। बीकानेर के राजा, जांगल प्रदेश के स्वामी होने के नाते, अभी भी जांगल के राजा कहलाते हैं। बीकानेर की स्थापना राठौड़ वंश के संस्थापक राव जोधा के पुत्र राव बीका ने की थी। राव बीका ने करणी माता के आशीर्वाद से 1465 में जांगल प्रदेश में राठौड़ वंश की स्थापना की। बीकानेर की स्थापना 1488 में नेरा जाटों की मदद से की गई थी। राव बीका ने जोधपुर के राव सुजा को हराया और राठौर वंश के सभी शाही प्रतीकों को बीकानेर लाया। History of Bikaner

स्थापना दिवस का जश्न खीचड़ा खाकर और पतंग उड़ाकर मनाया जाता है:
हालाँकि बीकानेर शहर की स्थापना अक्षय तृतीया पर हुई थी, लेकिन स्थापना दिवस अक्षय तृतीया के अवसर पर धूमधाम से मनाया जाता है।  इतना ही नहीं, इस दिन मोठ और बाजरे का खीचड़ा, बड़ी की सब्जी और दुलड़िया फुलके जिस पर घी लगाया जाता है, बनाया जाता है और इनके साथ इमलाणी मतलब इमली का रस भी पिया जाता है ताकि गर्मी महसूस न हो। आपको बता दें कि इमलानी का स्वभाव ठंडा है और गर्मी और लू महसूस नहीं होती है।  History of Bikaner