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Bikaner News: खेजड़ी पर संकट: भानीपुरा में एक ही रात में काट दिए गए 428 पेड़, उजड़ गए पक्षियों के घोंसले

चार हजार बीघा में बन रहा 600 मेगावाट का सोलर प्लांट, लेकिन क्या इसकी कीमत हमारी हरियाली है?

 
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Bikaner News: बीकानेर के लिए यह दोहरा संदेश है – एक ओर क्षेत्र सोलर एनर्जी के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा केंद्र बनने की ओर अग्रसर है, तो दूसरी ओर राज्य वृक्ष खेजड़ी और स्थानीय जैव विविधता इसके नीचे कुचली जा रही है। बीती रात भानीपुरा गांव के खेतों में 428 खेजड़ी के पेड़ों को बेरहमी से काट दिया गया। ये वही पेड़ हैं जो थार के रेगिस्तान में जीवन के रक्षक माने जाते हैं – छांव, चारा और पक्षियों के आशियाने की एकमात्र उम्मीद।

खेजड़ी के कटने की सूचना मिलते ही "हमारा बीकानेर" टीम मौके पर पहुंची। खेतों में दूर-दूर तक जमीन पर गिरे हुए पेड़ दिखाई दिए। कुछ पेड़ों की शाखाओं पर पक्षी मंडरा रहे थे, चीख-चीख कर जैसे इंसान की लापरवाही पर सवाल कर रहे हों। पेड़ों के भीतर बने घोंसले पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं।

पटवारी मूलदान चारण और वन रक्षक टीम मौके पर कटे हुए पेड़ों की गिनती में जुटी थी। घटना की जानकारी मिलते ही सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो चलाया गया और पर्यावरण प्रेमियों ने सरकार और कंपनियों के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। मौके पर पहुँचे अधिकारियों ने बताया कि लगभग 100 बीघा ज़मीन पर यह विनाश हुआ है। यह ज़मीन गाँव के किसानों की है, जिन्होंने इसे अमृतसर की "अल्प सोलर प्राइवेट लिमिटेड" को लीज पर दिया है। कुल 15 खसरे और 23 खातेदार इस जमीन से जुड़े हुए हैं।

यह कोई पहली घटना नहीं है। एक सप्ताह पहले ही लाखूसर क्षेत्र में 807 पेड़ काटे गए थे। बार-बार चेतावनियों के बावजूद वन संरक्षण नियमों की अनदेखी हो रही है। सवाल यह है कि अगर ऐसे ही पेड़ कटते रहे तो क्या आने वाली पीढ़ियों को खेजड़ी केवल किताबों में ही देखने को मिलेगी?

*प्रशासन का रुख*
बीकानेर कलेक्टर नम्रता वृष्णी ने कहा – "पेड़ काटने की सूचना पर हमने तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हालांकि खेजड़ी के लिए कोई विशेष धारा नहीं है, जिसके तहत कड़ी सजा दी जा सके, फिर भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। यह दुखद है कि ऐसे मामलों में महज़ ₹100 का जुर्माना लगाकर बात खत्म कर दी जाती है। अब समय आ गया है जब नियमों में सख्ती की जाए।"

पूगल उपखंड के एसडीएम राजेंद्र कुमार भिंचड़ ने कहा – "तहसीलदार और पटवारी को मौके पर भेजा गया है। खातेदारों के खिलाफ टिनेंसी एक्ट के तहत जुर्माना वसूलने की कार्यवाही की जा रही है।"

*अब सवाल बीकानेर से है*
क्या सौर ऊर्जा के नाम पर हम अपने पर्यावरण से समझौता करते रहेंगे? क्या खेजड़ी, जो हमारी पहचान है, उसे खत्म होते हम चुपचाप देखते रहेंगे? "हमारा बीकानेर" सभी नागरिकों, युवाओं और सामाजिक संगठनों से अपील करता है कि अब वक्त आ गया है जागने का, बोलने का और खेजड़ी को बचाने के लिए संगठित होकर खड़े होने का।

इस बार सिर्फ सरकार नहीं, हम सब ज़िम्मेदार हैं। क्योंकि यदि आज नहीं चेते तो कल न पक्षी बचेंगे, न पेड़... और न ही ये धरती हमारे लिए हरीभरी रह पाएगी।