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Success Story: घर के नाम पर एक झोंपड़ी, पिता करते हैं शादियों में बर्तन साफ, बेटे ने नीट 2025 में लहराया परचम

 
Success Story : नीट 2025 के नतीजे सिर्फ अंकों की कहानी नहीं, बल्कि संघर्ष, लगन और सीमित संसाधनों के बावजूद पूरे हुए सपनों की तस्वीर हैं। राजस्थान के श्रवण कुमार, किरण सांखला और बत्रा ट्रिपलेट्स (शुभ, रिद्धि, सिद्धि) जैसे मेधावी छात्रों ने दिखा दिया है कि मेहनत के आगे कोई बाधा बड़ी नहीं है। दिन-रात कड़ी मेहनत से श्रवण ने नीट 2025 में 700 में से 556 अंक हासिल किए और ऑल इंडिया रैंक 9754 हासिल की। ​​उनकी सफलता से परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। पिता रेखा राम की आंखें भर आईं, 'अब बर्तन मांजने से मुक्ति मिलेगी।' पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर उन्हें बधाई देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना से श्रवण की मां को मिले फोन ने उनकी ऑनलाइन पढ़ाई में तेजी ला दी। जोधपुर के बालेसर की किरण सांखला की कहानी हौसले की मिसाल है। मजदूर पिता खुशालाराम माली खदानों में पसीना बहाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। गांव में शिक्षा सुविधाएं कम थीं, फिर भी किरण ने पिता का विश्वास टूटने नहीं दिया। पिता कहते हैं, 'बेटी ने मेरा सपना साकार कर दिया।' किरण की मेहनत ने पूरे गांव को गौरवान्वित कर दिया और उसकी कहानी हर उस बच्चे को प्रेरित करती है, जो संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। हनुमानगढ़ जंक्शन के शुभ बत्रा और उनकी जुड़वां बहनों रिद्धि और सिद्धि ने नीट 2025 में इतिहास रच दिया। शुभ ने पहले प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 188 हासिल की, जबकि रिद्धि और सिद्धि ने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। ​​पिता डॉ. निशांत बत्रा, मां विनीता और दादा केवलकृष्ण के मार्गदर्शन ने उसे प्रेरित किया। सीकर और हनुमानगढ़ में कोचिंग के बाद उसकी मेहनत रंग लाई। शुभ न्यूरोसर्जन बनना चाहता है। मां विनीता कहती हैं, ‘तीनों बच्चों की एक साथ सफलता एक सपने जैसी है।’ यह परिवार एक प्रेरणा है कि कड़ी मेहनत और मार्गदर्शन से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।