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Mandi Strike: राजस्थान की कृषि मंडियों में हड़ताल, बीकानेर में पहले ही दिन 25 करोड़ का कारोबार प्रभावित

हड़ताल के पहले दिनकिसी भी प्रकार की बोली या व्यापारिक गतिविधि देखने को नहीं मिली

 

Mandi Strike: Bikaner News: राजस्थान में खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर राज्य की सभी उपज मंडियां मंगलवार, 2 जुलाई से चार दिन की स्ट्राइक पर चली गई हैं। जिला बीकानेर में इस हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। हड़ताल का उद्देश्य कृषक कल्याण शुल्क हटाने और अन्य व्यापारिक मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना है।

हड़ताल के पहले दिन मंडी परिसर में किसी भी प्रकार की बोली या व्यापारिक गतिविधि नहीं हुई, हालांकि मंडी परिसर के बाहर सामान्य गतिविधियां जारी रहीं। चूंकि इस समय मंडियों में ऑफ-सीजन चल रहा है, इसलिए किसानों पर इसका तत्काल प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं पड़ा। किसानों ने भी अपनी उपज लेकर मंडी की ओर रुख नहीं किया, जिससे किसी तरह की अव्यवस्था या अव्यवस्थित भीड़ नहीं देखी गई। Mandi Strike

व्यापार संघों ने इसे किसान और व्यापार दोनों के हित में बताया है। उनका कहना है कि मंडी में बोली के दौरान जो शुल्क वसूले जाते हैं, उनका सीधा भार किसानों पर ही पड़ता है, जिससे उन्हें प्रति क्विंटल 300 से 350 रुपए तक का नुकसान होता है। मूंगफली, मोठ, मूंग, चना जैसी फसलें इसका प्रमुख रूप से शिकार बनती हैं।

बीकानेर के कच्ची आढ़त व्यापार संघ के संरक्षक मोतीलाल सेठिया, पक्की आढ़त व्यापार संघ के अध्यक्ष जय किशन अग्रवाल और पूगल रोड अनाज मंडी के अध्यक्ष रामदयाल सारण ने संयुक्त रूप से प्रेस को बताया कि जब तक सरकार सात सूत्रीय मांगों पर ठोस आश्वासन नहीं देती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। व्यापारियों ने किसानों से अपील की है कि वे मंडी खुलने के बाद ही अपनी उपज लाएं, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो। Mandi Strike

मंडी परिसर में सुरक्षा और निगरानी की भी व्यवस्था की गई है। व्यापारियों ने स्पष्ट किया है कि यह हड़ताल सिर्फ व्यापारियों का नहीं बल्कि किसानों के अधिकारों और उनकी आय सुरक्षा से जुड़ा आंदोलन है।

व्यापार संघ द्वारा सरकार को जो सात सूत्रीय मांग-पत्र भेजा गया है, उसमें प्रमुख रूप से कृषक कल्याण शुल्क को समाप्त करना, मंडी टैक्स को 0.50 रुपए प्रति 100 रुपए के हिसाब से निर्धारित करना, आढ़त की दर को 2.25 प्रतिशत समान रूप से लागू करना और पुराने वंचित अनुज्ञापत्र धारियों को प्राथमिकता से भूखंड आवंटित करने की मांग शामिल है। 

इसके अलावा दुकान उपविभाजन का मानक 20 गुणा 40 किया जाए, बीकानेर को इस योजना में जोड़ा जाए, एमएसपी पर खरीद का अधिकार संयुक्त अनुज्ञापत्र धारियों को भी मिले और प्रशासनिक नियंत्रण क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक को सौंपा जाए – ये अन्य मुख्य मांगे हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया का व्यापारी और किसान समुदाय को अब बेसब्री से इंतजार है। Mandi Strike