Bikaner News: नोखा बना "गिव अप राशन अभियान" का मॉडल, बीकानेर के एक लाख से अधिक परिवार गरीबी रेखा से ऊपर उठे
नोखा की भूमिका सबसे प्रभावशाली
प्रदेशभर में अब तक *22.30 लाख परिवारों* ने राशन योजना का लाभ लेना बंद कर दिया है। इनमें से अकेले *बीकानेर जिले में करीब 1 लाख परिवारों* ने इस योजना से खुद को बाहर कर लिया है। यह संकेत है कि बीकानेर जिले में जागरूकता और आत्मनिर्भरता की भावना किस तेजी से बढ़ रही है।
नोखा की भूमिका सबसे प्रभावशाली
बीकानेर जिले में नोखा क्षेत्र इस अभियान में रोल मॉडल बनकर सामने आया है। नोखा उपखंड में सबसे अधिक *11,533 परिवारों* ने गिव अप अभियान के तहत अपना राशन कार्ड सरेंडर किया है। इसके अलावा नोखा ब्लॉक के *2,833 ग्रामीण परिवारों* ने भी इस कार्य में भागीदारी निभाई है। प्रशासनिक स्तर पर भी नोखा की टीम ने बेहतरीन काम किया है, जिससे यह क्षेत्र पूरे बीकानेर और राजस्थान के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। Bikaner News
आखिर क्यों छोड़ा लोगों ने मुफ्त राशन?
1. परिवार की आय अब पर्याप्त है और उन्हें सरकार की मदद की जरूरत नहीं।
2. सरकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को मिलना चाहिए।
3. सामाजिक जिम्मेदारी की भावना के तहत।
4. आत्मनिर्भरता का संकल्प। Bikaner News
दो मिसालें बनी प्रेरणा
*केस 1:* "हमारे घर में अब दो बेटे कमाने लगे हैं, अब हमारा गुज़ारा आसानी से हो जाता है, इसलिए हमने राशन कार्ड सरेंडर कर दिया। जरूरतमंदों को इसका लाभ मिलना चाहिए।" – एक निवासी, नोखा
*केस 2:* "सरकारी मदद की हमें पहले जरूरत थी, अब स्थिति सुधर चुकी है। हमारे जैसे हजारों लोगों को अब इसे छोड़ देना चाहिए ताकि सही लोगों तक सुविधा पहुंचे।" – महिला लाभार्थी, नोखा
प्रशासन की भूमिका और सतर्कता
बीकानेर जिले में कुल *865 उचित मूल्य दुकानों* और *120 राशन वितरण केंद्रों* पर नियमित रूप से निगरानी की जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जो लोग अब योजना के योग्य नहीं हैं, वे इसका लाभ न लें और जरूरतमंदों को प्राथमिकता मिले।
बीकानेर जिला रसद अधिकारी *सुमित गोयल* ने बताया कि गिव अप राशन अभियान न केवल आर्थिक रूप से सबल लोगों को पहचानने का जरिया बना है, बल्कि यह सामाजिक समानता और नैतिक ज़िम्मेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। Bikaner News