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Bikaner के इस अस्पताल पर लगे लापरवाही व लूट के आरोप, जाने क्या है पूरा मामला

 

Bikaner के सादुलगंज क्षेत्र में स्थित आयुष्मान कार्डियक केयर सेंटर पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। सुरजनसर निवासी 45 वर्षीय रामेश्वरलाल गोदारा की मृत्यु के बाद, उनके परिजनों ने डॉ. बी.एल. स्वामी और अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही और अनियमितता के गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों के अनुसार, मरीज को 22 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि इलाज बेहतरीन होगा और कोई लापरवाही नहीं होगी। 

इसके बाद, मरीज को 24 अगस्त को ऑपरेशन कक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन बाद में उन्हें उसकी स्थिति के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं दी गई। ऐसा माना जा रहा है कि 25 अगस्त की सुबह अचानक मरीज की मृत्यु की घोषणा कर दी गई।

मृतक के भाई निहालचंद ने जेएनवी थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अस्पताल ने बिना रसीद के इलाज के लिए 20,000 रुपये वसूले और मरीज की मौत के बाद डॉक्टर ने मामले को दबाने के लिए परिजनों से पैसे भी मांगे। इस घटना के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। परिजनों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं, बल्कि अस्पताल की लापरवाही और अनियमितताओं का एक और मामला है। Bikaner

परिजन और ग्रामीण आयुष्मान कार्डियक केयर सेंटर का लाइसेंस तुरंत रद्द करने, डॉ. बी.एल. स्वामी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने, उनकी गिरफ्तारी और अस्पताल में अब तक हुए सभी ऑपरेशनों और रिकॉर्ड की फोरेंसिक जांच की मांग कर रहे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर सच्चाई सामने लाने की भी मांग की है।

इस घटना के सामने आने के बाद बीकानेरवासियों का आक्रोश साफ झलक रहा है। सोशल मीडिया पर भी अस्पताल की कार्यप्रणाली और डॉक्टर को लेकर सवाल उठने लगे हैं। लोगों का मानना ​​है कि अगर इस बार ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह मामला बीकानेर तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश में फैल जाएगा। Bikaner

जनता का सीधा सवाल यही है कि क्या इलाज के नाम पर निजी अस्पताल मौत का अड्डा बन गए हैं और कब तक आम लोग अपनी जान और कमाई से हाथ धोते रहेंगे? मामला फिलहाल पुलिस और प्रशासनिक जाँच के घेरे में है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर बीकानेर के निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। Bikaner